Thursday, November 13, 2008

उम्मीद...

तुझे दुनिया का डर सताता है तो
सताया करे...
मैंने तो तुझ संग जीने मरने की
कसम खायी है ...
तुझे मेरी आवाज़ ना सुनाई दे तो
ना सही...
मैं तुझ बिन जी नही सकती .....
ये तो तुझे भी मालुम है ...!!

एक दिन यू ही
तेरी दुनिया से चुप-चाप उठ जाउंगी
मौत ना भी आई तो उसे ...
मना के लाऊंगी !!
बे-फिकर रहना ...
लब पे तेरा नाम ना लाऊंगी ..
तुझसे वादा किया है ...
तुझे अपने जनाजे पे ना बुलाऊंगी ॥!!

मेरी हर साँस में तू है ..
तुझ से जुदा हो कर तो
ना जी पाउंगी ...!!

कह दे बस एक बार की
सब उम्मीद छोड़ दू तुझसे ...
तो मेरी मौत ख़ुद-बी-ख़ुद
मेरे पास चली आएगी .... !!

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