Thursday, January 8, 2009

उनकी रुसवाई

उन्होंने छोड़ दिया है हमें...
मोहोबत में रुसवा कर के...
अब नही देखते है हमें..
मुड़-मुड़ के वो प्यार से..
ना पूछते है हाल अपना वो जाने-जाना
हम भी खामोश जीते है आहें भर भर के..

जिंदगी बीती जाती है इस कदर..
मुर्दा हो मानो जिस्म..
धड़कन चलती हे रुक-रुक के..