उन्होंने छोड़ दिया है हमें...
मोहोबत में रुसवा कर के...
अब नही देखते है हमें..
मुड़-मुड़ के वो प्यार से..
ना पूछते है हाल अपना वो जाने-जाना
हम भी खामोश जीते है आहें भर भर के..
जिंदगी बीती जाती है इस कदर..
मुर्दा हो मानो जिस्म..
धड़कन चलती हे रुक-रुक के..
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3 comments:
मुर्दा हो मानो जिस्म..
धड़कन चलती हे रुक-रुक के..
bahut achchha,
-------------------------"VISHAL"
बहुत ही सुन्दर रचना
---मेरा पृष्ठ
चाँद, बादल और शाम
---मेरा पृष्ठ
तकनीक दृष्टा/Tech Prevue
udaasi ke tanhaa lamhoN se
guftu karvaate hue alfaaz...
pataa nahi kya kahooN, be-lafz hooN
---MUFLIS---
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