Monday, March 16, 2009

इंतज़ार ...

शिद्दत से उन्हें यू याद करते है
हर आहट पे उन्ही के पैगाम की
चाहत करते है ...
ये कैसी दासता है जिसमे
स्याह शब् के बाद
सुबह का महताब नही है... !
मेरी चाहत की पाकीज़गी में
क्या कमी थी जो वक्त ने
तकदीर को इतनी
बेचारगी दी है॥

1 comment:

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति...
आप को मेरे ब्लाग की ये ग़ज़ल जरूर पसन्द आयेगी...
"आप की जब थी जरूरत, आप ने धोखा दिया।
हो गई रूसवा मुहब्बत , आप ने धोखा दिया।
खुद से ज्यादा आप पर मुझको भरोसा था कभी;
झूठ लगती है हकीकत, आप ने धोखा दिया।
दिल मे रहकर आप का ये दिल हमारा तोड़ना;
हम करें किससे शिकायत,आप ने धोखा दिया।"
आइये दर्द को एक दूसरे पढ़कर बांट लेते हैं.....