Tuesday, October 21, 2008

जिंदगी..

जिंदगी धुप छाव का खेल है..
जिंदगी अन -सुलझी पहेली है..
जिंदगी उम्मीदों का दामन है..
उम्मीदे नही तो जिंदगी बेमानी है..!!

जिंदगी जब भी मेरी महफिल में आती है..
में उस-से दर्द की इन्तहा पूछती हू.

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